5 Easy Facts About Shodashi Described

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।

The Chandi Route, an integral Element of worship and spiritual observe, Primarily in the course of Navaratri, is not basically a text but a journey in by itself. Its recitation is a robust tool within the seeker's arsenal, aiding while in the navigation from ignorance to enlightenment.

केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

As a single progresses, the next stage includes stabilizing this newfound recognition through disciplined procedures that harness the mind and senses, emphasizing the very important role of Vitality (Shakti) With this transformative course of action.

She would be the possessor of all fantastic and great issues, such as physical objects, for she teaches us to possess devoid of becoming possessed. It is said that stunning jewels lie at her feet which fell with the crowns of Brahma and Vishnu if they bow in reverence to her.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, here ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं

Goddess Lalita is worshipped by means of numerous rituals and techniques, such as viewing her temples, attending darshans and jagratas, and doing Sadhana for equally worldly pleasures and liberation. Each and every Mahavidya, including Lalita, has a selected Yantra and Mantra for worship.

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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